पनारसा कॉलेज की स्त्री प्रकोष्ठ की संयोजक प्रो चारु अहलूवालिया और प्रो अनिता कुमारी द्वारा आज अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस का समापन किया गया,8 मार्च से उपरोक्त दोनों आचार्यों की देखरेख में विद्यार्थी कविताएं,पोस्टर आलेख, वक्तव्य आदि तैयार कर रहे थे जिसका आज महाविद्यालय के सभागार में मुख्यातिथि पूर्व प्राचार्य डॉ धनेश्वरी शर्मा,विशेष अतिथि अधिवक्ता श्रीमती चंद्रामनी के समक्ष प्रदर्शन किया गया।
इस अवसर पर विद्यार्थियों नेअपनी कविताएं पेश करते हुए समाज के हाशिए पर पड़े तबकों की महिलाओं की तकलीफों संघर्षों और उनकी लगातार आगे बढ़ने की अदम्य इच्छा को सबके समक्ष रखा।
इस अवसर पर कविताओं के बारे में उनकी रचना प्रक्रिया पर भी बातचीत हुई।
डॉ धनेश्वरी शर्मा ने अपना वक्तव्य विद्यार्थियों से समवाद के रूप में शुरू किया उन्होंने बातचीत की शैली में उनसे आत्मविश्वास बनाए रखने और अपनी खूबियों को पहचानने के लिए प्रेरित किया।उन्होंने स्त्री विमर्श को भारतीय संदर्भों में समझने की अपील भी की।उन्होंने कहा कि स्त्री विमर्श आज कई तरह की उथल पुथल से गुजर रहा है उसमे हमको यह देखना है कि स्त्री अपनी भूमिका इस तरह निभाए कि उसकी स्वतंत्रता भी बाधित न हो और भारतीयता का मूल्य भी बचा रहे।
इसके उपरांत अधिवक्ता श्रीमती चंद्रामणि ने यौन उत्पीडन पर अपना वक्तव्य दिया उन्होंने यौन उत्पीडन के दायरे में आनेवाली सभी बातों को सप्ष्ट करते हुए कहा कि हमें कोई भी कानून क्यों बनाने पड़े है उसके पिछे एक बड़ी लंबी लड़ाई औरतों द्वारा लड़ी गई है।
उन्होंने मथुरा,भंवरी देवी आदि मामलों से विद्यार्थियों को परिचित करवातेहुए विशाखा गाइडलाइन के बारे में जानकारी दी और सभी विद्यार्थियों को इस संबंध में जागरूक होने का परामर्श दिया।
इसके उपरांत संयोजक प्रो चारु और प्रो अनिता ने स्त्री विमर्श और अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस के इतिहास और पिछले दिनों से की जा रही गतिविधियों के बारे में विचार रखे तथा अंत में प्राचार्य डॉ उरसेम लता ने मुख्यातिथि डॉ धनेश्वरी शर्मा और अधिवक्ता श्रीमती चंद्रा मणि का आभार व्यक्त करते हुए सभी अध्यापकों तथा सभी विद्यार्थियों का धन्यवाद किया।
इस अवसर पर विद्यार्थियों को पुरस्कार भी वितरित किए गए।